क्योंकि दुनिया भर में बन रही सभी वैक्सीन का तीसरे स्टेज का ट्रायल काफी ज्यादा समय लेगा. इन परीक्षणों से ही पता चलेगा कि कोरोना की वैक्सीन कितनी कारगर है.
हैरिस ने इस बात पर जोर दिया कि दुनिया भर के अलग-अलग देशों में बन रही कोरोना वैक्सीन से संबंधित आंकड़ों और परिणामों को आपस में शेयर करना चाहिए. अभी तक लाखों लोगों को वैक्सीन दी जा चुकी है लेकिन हमें यह नहीं पता कि कौन सी वैक्सीन मानकों के अनुसार कितनी कारगर है. WHO और GAVI मिलकर दुनिया भर में कोवैक्स (COVAX) नाम की वैक्सीन ईमानदारी के साथ बांटना चाहते हैं.
GAVI एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है. जिसे बिल गेट्स ने बनाया है. इनका मकसद है कि वो सबसे ज्यादा प्रभावित देश और लोगों तक कोवैक्स नाम की वैक्सीन पहुंचाएं. खासतौर से कोरोना वारियर्स ताकि वो कोरोना से बचे रहें और लोगों का इलाज करते रहें. लेकिन कुछ देशों ने दोहरे समझौते कर रखे हैं. जिसमें अमेरिका और रूस भी शामिल हैं. ये देश WHO की किसी भी मुहिम में शामिल ही नहीं होना चाहते. जिससे WHO की वैश्विक मुहिम में बाधा पड़ रही है.